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14 Aug 2024 · 1 min read

इक्क्सिवि शताब्दी में जी रहे हैं हम लोगों को शायद ये समझना ह

इक्क्सिवि शताब्दी में जी रहे हैं हम लोगों को शायद ये समझना होगा की शिक्षा का मतलब सिर्फ किताबें नहीं, उनसे मिलने वाली बातों के ज्ञान के असीम संसार को हमें अपने में समाहित कर लेना ही शिक्षा का असली स्वरूप है.. समाज को आज एक बार फिर से, मुंशी प्रेमचंद, पंचतंत्र, चाचा चौधरी,पिंकी, विवेकानंद,गाँधी जी, अरस्तू, शुक्रात्, आदि नैतिक शिक्षाओं की तरफ़ लौटना ज़रूरी है,
ध्यान भी एक बेहतरीन माध्यम होगा..

समाज को थोड़ा शांत,संयम, धैर्य, साहस से इस पर विचार करने की एक बार फिर से ज़रूरत है..

बेहतर पीढ़ी ही, बेहतरीन कल बनायेगी…

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