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13 May 2022 · 1 min read

इंसानियत बनाती है

इंसानियत बनाती है, धरती को जन्नत यारों।
जिंदा रहे इंसानियत, मांगों ऐसी मन्नत यारों।।
इंसानियत बनाती है—————–।।

इंसानियत बढ़ाती है, प्रेम- भाईचारा देश में।
रहता है इससे चैनों-अमन, आबाद किसी देश में।।
रहता है इससे सुरक्षित वतन, और खुशियों की बरकत यारों।
जिंदा रहे इंसानियत, मांगों ऐसी मन्नत यारों।।
इंसानियत बनाती है—————–।।

अमीरी-गरीबी में भेद, मिट जाता है इंसानियत से।
मिलती है शरण अनाथों को,धरती पर इंसानियत से।।
जीते हैं सभी खुश होकर तब,होती है खुशी उन्नत यारों।
जिंदा रहे इंसानियत, मांगों ऐसी मन्नत यारों।।
इंसानियत बनाती है——————।।

खुशहाल रहे यह अपना वतन, आबाद रहे यहाँ धर्म सभी।
नफरत की खड़ी हो दीवारें, नहीं ऐसा हो यहाँ कर्म कभी।।
इंसानियत सिखाती नहीं, ऊंच-नीच,नफरत यारों।
जिंदा रहे इंसानियत, मांगों ऐसी मन्नत यारों।।
इंसानियत बनाती है——————-।।

शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847

Language: Hindi
Tag: गीत
259 Views
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