Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2023 · 3 min read

इंसानियत का कोई मजहब नहीं होता।

देश कई होड़ से गुजरे यहाँ ।

अपने मुल्क की आजादी में हिंदु-मुसलमान, जनजाति सब एक-साथ यहाँ लङे हैं ।

और आज के लोग हिंदु और मुसलमान किए है।
मंदिर और मस्जिद में सिमटे है ।
बदले की आग में ज्वालामुखी हो लिए है ।
कही रमजान नही होने देंगे ।
अजान दस्तूर नही होने देंगे ।
ये मजहब के दुश्मन है या इंसा के।
जो ईश्वर के इबादत का इंतजाम नही होने देंगे ।
अनेको देशो ने दुनिया को नए-नए आविष्कार दिए है।
और भारत में अभी भी लोग हिंदू और मुसलमान किए है ।
कुर्सी का किस्सा, हिंसा की मंशा।
इन राजनेताओ ने अपने स्वार्थ के आगोश में क्या-क्या नही लिए है।
छोङ सब तरक्की फरमान के रास्ते ।
छोङ ईमान, रहनुमाई के इरादे ।
बस हिंदू -मुसलमान की हिंसा भङकाने में लगे है ।
सातवां अजूबा अपने देश का ताजमहल न होता ।
अगर हिंदुस्तान में शाहजहां सा मुगल न होता ।
तिरंगा फहराने को लाल किला की प्राचीर न होता ।
अगर नक्काशकारो ने देश नही मजहब देखा होता ।
कहते है मुसलमान चैन- अमन मे आतंक का बीज बोता है ।
अगर ऐसा होता तो अब्राहम लिंकन अमेरिका का राष्ट्रपति न होता ।
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत की सुरक्षा का दावेदार न होता ।
साहिर,कैफी,जावेद,शकील हसरत ,मजरूह, कामिल शांति मोहब्बत का गीतकार न होता।
कही गुम्बद कही मीनारे ।
कही नक्काशी कही किनारे ।
कही दिल मे जलता हुआ नफरत के सरारे।
मुसलमान भी थे शरीक भारत को दासता से मुक्त कराने में ।
सर सैय्यद अहमद खां,मौलाना अबुल कलाम।
अच्छा आप ही बताओ कौन था अशफाक उल्ला खां।
1965 के हिंद -पाकिस्तान के युद्ध में टैंक के उङा डाले।
कौन था वो वीर अब्दुल हमीद शहीद।
जरा इक नजर इस पर भी तो डाले।
काश्मीर द फाइल्स जब से हिंदुस्तान देखा है ।
सच मानो बहुत अच्छी तरह से इस फिल्म ने सबके आंख में धूल झोंका है।
हिंदु बदले मे बादल सा मडरा रहे है ।
अपने देश को ही घरेलू संकट में डाल रहे है ।
अगर ये गजल, मौशिकी न होती।
खुदा की कसम फिजाओ में कभी सर्दी नही होती ।
अंगारो की लपटो से बस होते मरूस्थल के मंजर ।
रूह और दिल को कभी मोहब्बत का एहसास नही होता ।
अगर खुले आसमान से धरती पर मोहब्बत का बरसात नही होता।
सब छोङ अस्मत के मुद्दे पर लङे है ।
भगवा और हिजाब पर अङे है ।
इस देश ने आखिरकार कौन सा ड्रामा खड़े किए है ।
जब देखो तब हिंदु -मुसलमान किए है ।
सिक्का एक ही है -दो पहलू है उसके हिंदुत्व और इस्लाम ।
एक में सूर्य निकले है,तो दूसरे में चांद उगे है ।
प्रेम के अनुभूति जाति और मजहब देखकर नही की जाती ।
नही तो डाल्फिन किसी को नही बचाती ।
इंसानियत और प्रेम के भाषा समझते है लोग सभी ।
नही तो बसंत मे पेङ से पत्तियां नही निकलती ।
ये तारे, नक्षत्र ये शरीयत, आयत प्रपत्र ।
गलत है जो विरोध करेंगे उसका ।
खुदा ने कुछ भी नही लिखा सिवाय बुद्धि देने के ।
उसको भी तो किसी ने अपने दिमाग से लिखा है ।
पर सही क्या है, गलत क्या ।
वक्त के हालात को देखते हुए इंसान ने उसे खुद बदला है ।
तलाक था पहले बस इक आपसी कलह का वजह।
हर रात के बाद आती है सुबह।
सती प्रथा का अब कहां है निशां ।
भूल चुका कब का उसे जहां।
महिला से ही तो हम है धरती भी है की मां की तरह।
पर्वतो से निकलकर नदियो ने कई सरहद डांके है ।
मिलकर समंदर में अंततः अपने गहराईयो में झांके है ।
हम है की छोङ खुशियो के पल को ।
गम,क्लेश,द्वेष के आंधियो में उलझे है ।
बेवजह ही हम आपस में भिङे है।
ये कौन है नासमझ जो हिंदू मुसलमान किए है ।

Language: Hindi
386 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हमें लगा  कि वो, गए-गुजरे निकले
हमें लगा कि वो, गए-गुजरे निकले
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
यादों के जंगल में
यादों के जंगल में
Surinder blackpen
2603.पूर्णिका
2603.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हां....वो बदल गया
हां....वो बदल गया
Neeraj Agarwal
फिर एक आम सी बात पर होगा झगड़ा,
फिर एक आम सी बात पर होगा झगड़ा,
Kalamkash
वोट कर!
वोट कर!
Neelam Sharma
"सर्व धर्म समभाव"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
ज़िन्दगी में न थी
ज़िन्दगी में न थी
Dr fauzia Naseem shad
शकुनियों ने फैलाया अफवाहों का धुंध
शकुनियों ने फैलाया अफवाहों का धुंध
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
भारत के सैनिक
भारत के सैनिक
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
शायरी 2
शायरी 2
SURYA PRAKASH SHARMA
सहयोग की बातें कहाँ, विचार तो मिलते नहीं ,मिलना दिवा स्वप्न
सहयोग की बातें कहाँ, विचार तो मिलते नहीं ,मिलना दिवा स्वप्न
DrLakshman Jha Parimal
मुझे  किसी  से गिला  नहीं  है।
मुझे किसी से गिला नहीं है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
" जरिया "
Dr. Kishan tandon kranti
मु
मु
*प्रणय प्रभात*
*अमर रहे गणतंत्र हमारा, मॉं सरस्वती वर दो (देश भक्ति गीत/ सरस्वती वंदना)*
*अमर रहे गणतंत्र हमारा, मॉं सरस्वती वर दो (देश भक्ति गीत/ सरस्वती वंदना)*
Ravi Prakash
वह है हिंदी हमारी
वह है हिंदी हमारी
gurudeenverma198
कलयुग की छाया में,
कलयुग की छाया में,
Niharika Verma
गलतियां वहीं तक करना
गलतियां वहीं तक करना
Sonam Puneet Dubey
कर्म -पथ से ना डिगे वह आर्य है।
कर्म -पथ से ना डिगे वह आर्य है।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
ज़िंदगी  ने  अब  मुस्कुराना  छोड़  दिया  है
ज़िंदगी ने अब मुस्कुराना छोड़ दिया है
Bhupendra Rawat
अब हर राज़ से पर्दा उठाया जाएगा।
अब हर राज़ से पर्दा उठाया जाएगा।
Praveen Bhardwaj
आंतरिक विकाश कैसे लाए। - रविकेश झा
आंतरिक विकाश कैसे लाए। - रविकेश झा
Ravikesh Jha
कहना तो बहुत कुछ है
कहना तो बहुत कुछ है
पूर्वार्थ
माँ गौरी रूपेण संस्थिता
माँ गौरी रूपेण संस्थिता
Pratibha Pandey
नारी है नारायणी
नारी है नारायणी
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
चाहो जिसे चाहो तो बेलौस होके चाहो
चाहो जिसे चाहो तो बेलौस होके चाहो
shabina. Naaz
सोच...….🤔
सोच...….🤔
Vivek Sharma Visha
** मंजिलों की तरफ **
** मंजिलों की तरफ **
surenderpal vaidya
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
Loading...