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18 Jun 2019 · 1 min read

आज़ाद गज़ल

होती है क्या तरक्की किसी गरीब से पूछो
छिन गई हो जिसकी रोज़ी बदनसीब से पूछो ।

रहनुमा रहम दिल हो , ऐसा कभी नहीं हुआ
किस कदर ये खलती है ,टूटती उम्मीद से पूछो ।

छिन ली रिसालो की , हुकूमत बदलते वक्त ने
हश्र क्या हुआ लिखने बालों का, अदीब से पूछो ।

खामोश खड़ा देखता है रोज़ अपने आस पास
किस तरह उड़ती है धज्जियां तहजीब से पूछो ।

मौत मुतमईन है अजय आदमी के इन्तेजाम से
दुआ,दवा ,ईलाज है क्यूँ बेअसर,मरीज़ से पूछो ।

-AJAY PRASAD
TGT ENGLISH DAV PS PGC
BIHARSHARIF ,NALANDA ,BIHAR
?9006233052

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