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1 Sep 2019 · 1 min read

आज़ाद गजल

शिकवे, गिले, मलाल ,कुछ भी नहीं
इससे बुरा तो हाल कुछ भी नहीं ।
वक्त के साथ हालात बदलते ही हैं
तेरा और मेरा कमाल कुछ भी नहीं ।
देख कर आँखें मेरी वो सहम गए
मैने तो किया सवाल कुछ भी नहीं ।
फक्कड़ की कमाई बस .खुदाई है
वो हराम या हलाल कुछ भी नहीं
जां गई गरीब की गुरवत में गुमनाम
हुआ अजय वबाल कुछ भी नहीं ।
-अजय प्रसाद

1 Like · 2 Comments · 142 Views

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