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20 Sep 2016 · 1 min read

” आशा दीप “

संध्या ऊषा का सम्बल खोकर ,
नीरवता में डूब जाती ,
फ़िर भी जग हेतु नक्षत्र के ,
आशा दीप जलाकर जाती ,
हमें बताती ,निशा यदि है ,
दिवस भी तेरा दूर नहीं ,
आस न छोडना है आने वाला ,
स्वर्णिम आभा लिये सवेरा ||
…निधि …

Language: Hindi
1 Like · 523 Views
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