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11 Apr 2020 · 1 min read

आवारगी

आंखों से पढ़ा किए सब देखा न अपनी आवारगी
अजनबी दिल रहा और आंखों में रही आवारगी

बड़ी नफ़ासत से ऐब गिनवाए उसने,
देखा किए बस मुझ में मेरी विरानगी

बड़ी शिद्दत से फिर ढूंढा किए हम
मिली न मुझ को मुझ में आवारगी

देखिए ये दिल ए बर्बाद लेकर कहां मुझ को जाएगी
हमने आती जाती हवा के परों पे लिख दिया आवारगी !

~ सिद्धार्थ

पत्थरों को जाना यार ही किए रहिए
पिघलता नहीं तो बदलता भी तो नहीं
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
2 Likes · 5 Comments · 175 Views

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