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23 May 2021 · 1 min read

आल्हा ऊदल बड़े लड़ैया, चम चम चमक रही तलवार।

आल्हा,
आल्हा -ऊदल बड़े लड़ैया, चम- चम चमक रही तलवार।
मची खलबली रण में भारी, होने लगे वार पर वार।।
जब- जब दुश्मन रण में आये,टूट पड़े ऊदल तत्काल।
काट -काट सर धूल चटाते, कर रणभूमि रक्त से लाल।।
आल्हा- ऊदल लड़ी लड़ाई, ऊदल तभी भरी हुँकार।
चुन-चुन सारे दुश्मन मारे,ऊदल करते हैं संहार।।
महाबली ऊदल बलशाली, भीम सरीखे विपुल महान।
सेना जब -जब आल्हा गाये,लड़ने जायें वीर जवान।।

डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वरिष्ठ परामर्श दाता, प्रभारी रक्त कोष
जिला चिकित्सालय, सीतापुर।

Language: Hindi
2 Likes · 3 Comments · 3905 Views

Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

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