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23 Aug 2021 · 1 min read

आम आदमी

मुक्तक ३२ मात्रिक
प्रदत्त शब्द-आम आदमी

बेबस भूख गरीबी से हो, खेतों में लाचार रो रहा।
आम आदमी के सपने का, संसद में व्यापार हो रहा।
मँहगाई विकराल हो गई, रोजगार का पता नहीं है-
तेल डालकर निज कानों में, जो था जिम्मेदार सो रहा।

मुक्तक- २८ मात्रिक
प्रदत्त शब्द-आम आदमी

मँहगी गाड़ी से चलते अरु, जनसेवक कहलाते।
अन्त्योदय का अन्न बेचकर, अपना महल बनाते।
आम आदमी भूखे मरता, नून तेल का फांँका-
संसद में बिरियानी बंँटती, साथ बैठ सब खाते।

मुक्तक-२१ मात्रिक
प्रदत्त शब्द- साहित्य

रहे बस सत्य ही आधार जीवन भर।
मिले हर रोज ही त्योहार जीवन भर।
भले दौलत नहीं देना मुझे भगवन्-
बहे बस प्रेम की रसधार जीवन भर।

*प्रदत्त शब्द :आम-आदमी*
(मुक्तक २४ मात्रिक)

सब-कुछ कर के देख ली, पूजा और अजान।
मँहगाई की रोग से, मिलता नहीं निदान ।
क्या होली दीपावली, ईद, तीज, त्योहार-
आम आदमी के लिए, सब दिन एक समान।

(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
2 Comments · 185 Views
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