Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Oct 2016 · 1 min read

आप विश्व सिरमौर…: छंद कुण्डलिया

जय हिंद की सेना …
सेना दिवस १९ जुलाई…
(छंद कुंडलिया)

आतंकी अब कांपते, नहीं मिल रहा ठौर
भारतीय सेना नमन, आप विश्व सिरमौर.
आप विश्व सिरमौर, वीर सैनिक बलिदानी.
सदा दिलाते याद, ‘पाक’ पापी को नानी.
यद्यपि बहु प्रतिबन्ध लगाते नेता सनकी.
तब भी काम तमाम, झेल जाते आतंकी..

–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर‘

234 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी ,
हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी ,
Rituraj shivem verma
फिर वसंत आया फिर वसंत आया
फिर वसंत आया फिर वसंत आया
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
क़िस्मत हमारी ख़ुद के ही पहलू से आ मिली
क़िस्मत हमारी ख़ुद के ही पहलू से आ मिली
अंसार एटवी
..
..
*प्रणय*
झूठी मुस्कुराहटें
झूठी मुस्कुराहटें
Krishna Manshi
" नदिया "
Dr. Kishan tandon kranti
एक घर मे दो लोग रहते है
एक घर मे दो लोग रहते है
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
चाहत थी कभी आसमान छूने की
चाहत थी कभी आसमान छूने की
Chitra Bisht
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
बेहया दिल कितने हो तुम
बेहया दिल कितने हो तुम
gurudeenverma198
*जिंदगी* की रेस में जो लोग *.....*
*जिंदगी* की रेस में जो लोग *.....*
Vishal Prajapati
आंसूओ को इस तरह से पी गए हम
आंसूओ को इस तरह से पी गए हम
Nitu Sah
मां से प्रण
मां से प्रण
इंजी. संजय श्रीवास्तव
*पीता और पिलाता है*
*पीता और पिलाता है*
Dushyant Kumar
माचिस उनके जेब की
माचिस उनके जेब की
RAMESH SHARMA
स्नेह
स्नेह
Shashi Mahajan
তুমি নেই
তুমি নেই
Sakhawat Jisan
मैं पुलिंदा हूं इंसानियत का
मैं पुलिंदा हूं इंसानियत का
प्रेमदास वसु सुरेखा
आया नववर्ष
आया नववर्ष
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
दिलचस्प (लघुकथा)
दिलचस्प (लघुकथा)
Indu Singh
रफ़्तार - ए- ज़िंदगी
रफ़्तार - ए- ज़िंदगी
Shyam Sundar Subramanian
मेरे प्रभु राम आए हैं
मेरे प्रभु राम आए हैं
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
बुढ़ापा भी गजब हैं
बुढ़ापा भी गजब हैं
Umender kumar
भाव
भाव
Ashwini sharma
कविता - शैतान है वो
कविता - शैतान है वो
Mahendra Narayan
जान लो पहचान लो
जान लो पहचान लो
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
sp146 काव्य जगत के
sp146 काव्य जगत के
Manoj Shrivastava
कहां बिखर जाती है
कहां बिखर जाती है
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
Manoj Mahato
यायावर
यायावर
Satish Srijan
Loading...