आप नहीं होते ऐसे सिर पे हमारे

नहीं होते आप ऐसे सिर पे हमारे, सिर पे तुम्हें नहीं बैठाया होता।
नहीं होते बाग बाग आप इस तरहां से, हमने तुम्हें नहीं सींचा होता।।
नहीं होते आप ऐसे सिर पे—————–।।
मालूम है आपको अच्छी तरह से, ख्वाब हो आप किसके दिल के।
होते नहीं नूर आप इस तरहां से, रोशन तुमको नहीं किया होता।।
नहीं होते आप ऐसे सिर पे—————-।।
यह आपकी आज जो महफ़िल है, किसकी मोहब्बत से ऐसी सजी है।
नहीं होते सरताज आप इस तरहां से,तुमको नहीं ऐसे सजाया होता।।
नहीं होते आप ऐसे सिर पे—————–।।
आज ऐसे आफताब आप जो बने हो,करके बुलंद आप सितारें।
नहीं होते मकबूल आप इस तरहां से, हमने तुम्हें नहीं चमकाया होता।।
नहीं होते आप ऐसे सिर पे—————–।।
अहम आपको है आज जो ऐसे, अपनी सूरत और हस्ती पर।
नहीं होते आप ऐसे आबाद सच में, हमने तुम्हें नहीं अपनाया होता।।
नहीं होते आप ऐसे सिर पे ———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)