आप अपनी दवा भी रखते हैं
आप अपनी दवा भी रखते हैं
हम दीये हैं हवा भी रखते हैं.!!
मुख्तसर लोग हैं जो आँखो में
शर्म ‘ ग़ैरत ‘ हया भी रखते हैं..!!
मौत की तलख़ियों से वाकिफ हैं
जिन्दगी का मज़ा भी रखते हैं..!!
जिस जगह हम हयात रखते हैं
उसके नीचे कज़ा भी रखते हैं..!!
जलवा ऐ जुम्बिश ऐ जानां मेरी
हम ग़ज़ल की अदा भी रखते हैं..!!
– राव नासिर