आनंद- पथ पर ,प्रकाश की ओर:: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट९६)
आनंद – पथ पर ( मुक्त छंद कविता )
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प्रिय आत्मन् ,,!
अनगिनत अब बढ़ चले हैं पॉव
आनमद – पथ पर/ प्रकाश की ओर
कर रही है अनुभव भोर
अपनी अधखुली पलकों पर विदा होते —
चंदा के अधरों का स्पर्श ,
रश्मियों का आचमन कर ./ महकने लग गया है –
फिर कमल का गॉव !
हँसते — खिलते , मुस्कराते
सतरंगी परिधान पहने शिशु
पक्षियों से कलरव करते
मुक्त स्वरों में चहचहाते
दे रहे हैं संकेत सूर्योदय का !
शुभ समय के आगमन का / हो रही है फिर रुपहली
आँचलों की / स्निग्ध उन पर छॉव !!
——- जितेन्द्रकमल आनंद