Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jul 2024 · 2 min read

आदमी और गधा

कल मैंने एक गधे को देखा
उसके आगे फैली हुई हरी हरी घास को देखा
गधा घास चर रहा था
और मैं
अपनी नई गढ़ी कविता का रसास्वादन कर रहा था
तभी हुआ रंग में भंग
आये पण्डित लम्बोदरानन्द
आते ही उन्होंने
बड़े प्यार से
मेरी पीठ को थपथपाया
मुझे अपनी कविता की नींद से जगाया
बोले, बेटा ! यह क्या कर रहा है ?
गधे से डर रहा है?
मैंने कहा,
पण्डित जी ! मैं डर नहीं रहा हूँ
अरे, आदमी नहीं बन सका
इसलिए गधा बनने का प्रयास कर रहा हूँ
सुनकर पण्डित जी गुस्से में डोले
बिगड़े, तमतमाये फिर हौले से बोले,
अरे मूर्ख ! भगवान से डर
उनका नियम उलट कर गधा बनने का प्रयास मत कर
तू हिन्दू है, हिन्दू के लक्षण देख
मुझे देख और मेरी शिष्य मण्डली में आ जा
सारे हिंदुओं के दिलों में समा जा
मैंने पण्डित जी को समझाने का प्रयत्न किया
दुनिया दिखाने का यत्न किया
तब तक मौलवी साहब आये
अल्ला हू अकबर का नारा लगाये
बोले, तू हिन्दू नहीं रहना चाहता तो मुसलमान बन जा
आ, इस्लामियत की पहचान बन जा
अरे नादान ! गधा बनना चाहता है ?
इस समाज से अलग होना चाहता है ?
मैंने कहा,
ये समाज, समाज नहीं कलंक है
यूँ समझिये कि जहरीले बिच्छू का डंक है
मुल्ला जी बोले,
क्या खुलकर नहीं कह सकते ?
मैं बोला ,
आप दोनों मेरी बात नहीं समझ सकते
क्योंकि,
आपकी आँखों पर सम्प्रदायवाद का पर्दा पड़ा हुआ है
नफरत का गर्दा चढ़ा हुआ है
जिस दिन आप गधे को समझ जायेंगे
उसी दिन हैवान से इंसान बन जायेंगे
अरे!
गधा हिन्दू नहीं होता, मुसलमान नहीं होता
उसका कोई भगवान नहीं होता, पैग़म्बरे ईमान नहीं होता
वह तो गधा है
इसलिए सबसे सधा है
इसी विशेषता को परखते हुए
दुनिया को समझते हुए
जाति और मज़हबवाद से डर रहा हूँ
आदमी तो नहीं बन सका
पर, गधा बनने का प्रयास कर रहा हूँ ।
✍️ शैलेन्द्र ‘असीम’

Language: Hindi
1 Like · 52 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

लोगों को कहने दो
लोगों को कहने दो
Jyoti Roshni
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
महज सुकरात का डर है
महज सुकरात का डर है
Manoj Shrivastava
"यहाॅं हर चीज़ का किराया लगता है"
Ajit Kumar "Karn"
मैं बेबाक हूँ इसीलिए तो लोग चिढ़ते हैं
मैं बेबाक हूँ इसीलिए तो लोग चिढ़ते हैं
VINOD CHAUHAN
पतोहन के साथे करें ली खेल
पतोहन के साथे करें ली खेल
नूरफातिमा खातून नूरी
गुलामी के कारण
गुलामी के कारण
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
पत्थर
पत्थर
manjula chauhan
रोबोट युगीन पीढ़ी
रोबोट युगीन पीढ़ी
SURYA PRAKASH SHARMA
भाई
भाई
Kanchan verma
जीवन  आगे बढ़  गया, पीछे रह गए संग ।
जीवन आगे बढ़ गया, पीछे रह गए संग ।
sushil sarna
जिस स्त्री के पति कार्य के सिलसिले में अगर उनसे दूर रहते है
जिस स्त्री के पति कार्य के सिलसिले में अगर उनसे दूर रहते है
Ritesh Deo
वीर सैनिक
वीर सैनिक
Kanchan Advaita
तिरस्कार के बीज
तिरस्कार के बीज
RAMESH SHARMA
गुजरे ज़माने वाले।
गुजरे ज़माने वाले।
Taj Mohammad
ग्रंथ
ग्रंथ
Tarkeshwari 'sudhi'
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
साथ रहोगे
साथ रहोगे
Rambali Mishra
डर के आगे जीत।
डर के आगे जीत।
Anil Mishra Prahari
"शब्द भरते अहसास"
Dr. Kishan tandon kranti
ये मानसिकता हा गलत आये के मोर ददा बबा मन‌ साग भाजी बेचत रहिन
ये मानसिकता हा गलत आये के मोर ददा बबा मन‌ साग भाजी बेचत रहिन
PK Pappu Patel
मैं भारत माँ का प्रहरी हूँ
मैं भारत माँ का प्रहरी हूँ
श्रीकृष्ण शुक्ल
होता नहीं किसी का
होता नहीं किसी का
Sukeshini Budhawne
*Fruits of Karma*
*Fruits of Karma*
Poonam Matia
I Haven't A Single Things in My Life
I Haven't A Single Things in My Life
Ravi Betulwala
2651.पूर्णिका
2651.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मैं खुद भी सोचता हूँ ये क्या मेरा हाल है; जिसका जवाब चाहिए,
मैं खुद भी सोचता हूँ ये क्या मेरा हाल है; जिसका जवाब चाहिए,
पूर्वार्थ
चाहता हे उसे सारा जहान
चाहता हे उसे सारा जहान
Swami Ganganiya
नया वर्ष
नया वर्ष
डॉ.सतगुरु प्रेमी
आंतरिक विकाश कैसे लाए। - रविकेश झा
आंतरिक विकाश कैसे लाए। - रविकेश झा
Ravikesh Jha
Loading...