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27 Mar 2022 · 1 min read

आदमी आदमी के रोआ दे

बीच नैनन रहे यार ऊहे, बीच राहे में काहें दगा दे,
एक दूजे के देखल न चाहे, आदमी आदमी के रोआ दे।

घात अक्सर करे आज ऊहे,
जेके मानल करे लोग आपन।
खाली नफरत के बाजार बाटे,
अब कहीं ना मिले प्रीत पावन।
जे करे साथ देबे के वादा, तीर पीछे से ऊहे चला दे।
एक दूजे के देखल न चाहे, आदमी आदमी के रोआ दे।।

स्वार्थ के रोज आवेला आन्हीं,
स्वार्थ के रिश्ता नाता बनेला।
जे कहे खाति बा खास आपन,
स्वार्थ में परि के ऊहे छलेला।
दर्द जहिये पुरनका भुलाला, चोट तहिये जमाना नया दे।
एक दूजे के देखल न चाहे, आदमी आदमी के रोआ दे।।

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 26/03/2022

Language: Bhojpuri
Tag: गीत
5 Likes · 5 Comments · 742 Views

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