गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
दिल की हरकते दिल ही जाने,
बिन तेरे जिंदगी हमे न गंवारा है
थोड़ा सा थका हूँ मगर रुका नही हूँ
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ईश्वर जिसके भी सर्वनाश का विचार बनाते हैं तो सबसे पहले उसे ग
रात नशीली कासनी, बहका-बहका चाँद।
ये घड़ी की टिक-टिक को मामूली ना समझो साहब
राहें खुद हमसे सवाल करती हैं,
नहीं किसी का भक्त हूँ भाई
घर को जो रोशन करें वह चिराग है बेटियां