आज सबको हुई मुहब्बत है।

गज़ल
2122…..1212…..22/112
आज सबको हुई मुहब्बत है।
क्या मुहब्बत में इतनी सिद्दत है।
इक नया मजनू रोज ही देखो,
पर कहां उनमें वो शराफत है।
होगी हैरान देख कर लैला,
आज उल्फत कहां इबादत है।
अब मुहब्बत भी आ गई जद में,
इसमें भी घुस चुकी सियासत है।
इश्क और मुश्क अब हुआ उनका,
जिनके घर में बड़ी रियासत है।
कुछ नहीं है तो बस यही कर लो,
अब मुहब्बत भी इक तिजारत है।
दिल में रखते छुपा के जो प्रेमी,
इश्क उनके लिए अमानत है।
……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी