आज मैंने खुद से मिलाया है खुदको !!
आज उसने मुझको जो बुलाया, फिर से
मंजर फिर वही याद आया मुझे, झट से
जब जब भी नाम मेरा लेता है वो आजकल
सिहर सा जाता है दिलो-दिमाग मेरा उस पल
मायुसी इस क़दर हावी थी आज उस पर
क्योंकि हर बार वो जाती थी उस संग
और लौट कर आती थी तो सिर्फ अश्कों के संग
अब शायद भान हो गया है मुझे, ऐसा लगा
क्योंकि आजकल जब आईना देखती हूँ तो
पूछता है हर बार वो मुझको
कब तक इन अंधेरों में खुद को कोसती रहेगी
आखिर कब तक खुद को बेड़ियों में कैद रखेगी
आज उसने फिर से जीना सीख लिया था
आज मैंने खुद को नयी ज़िन्दगी दी थी
और मैंने अपना रास्ता चुनकर
आज फिर खुद से मिलाया है खुदको !!
©️ रचना ‘मोहिनी’