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5 Aug 2022 · 1 min read

आजादी का दौर

आजादी का दौर

लिखते लिखते कलम भी रो पड़ी,
सरेआम दबोचा, शोषण की स्याही अखबार में चली,
मजलूमों की उठी अर्थी,
इतिहास गवाह है, क्रांतिकारियों की कबर खुदी।।

वो राजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह थे,
अपराध सहन बोल उठे,
जला मशाल आजादी की सीने में,
क्रांति के महासंग्राम में कूद पड़े।।

काम आए कतरा कतरा मां धरा के लिए,
बह जाए लहु बदन की अंतिम बूंद तक मां धरा के लिए।
रणभूमि में योद्धाओं का इतिहास पुराना है,
गौरवशाली मां जन्मे सपूत, अभिमान हमारा है।।

सीमा टेलर।छिम्पियान लंबोर।चूरु। राजस्थान

Language: Hindi
Tag: कविता
2 Likes · 2 Comments · 188 Views
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