आज़ादी का आगमन

फांसी के फंदे को मेहबूबा समझ चूमने को बेकरार
अध-टूटी खटिया को कर बादशाह का सिंहासन स्वीकार
जब वो मौत को गले लगाने निकला था
बस वही वक़्त था जब आज़ादी का फूल खिला था।
डॉ राजीव
चंडीगढ़।
फांसी के फंदे को मेहबूबा समझ चूमने को बेकरार
अध-टूटी खटिया को कर बादशाह का सिंहासन स्वीकार
जब वो मौत को गले लगाने निकला था
बस वही वक़्त था जब आज़ादी का फूल खिला था।
डॉ राजीव
चंडीगढ़।