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31 Jan 2023 · 1 min read

“आंखरी ख़त”

एक ख़त लिखा था उसने जो मैं पढ़ ना पाया,
जज़्बात लिखें थे उसने जिनको मैं समझ ना पाया,
कहने को तो कागज़ का टुकड़ा था वो जिसे मैं खोल ना पाया,
लिखा था उसने दर्द अपना या यूँ किया था बयां इश्क़ अपना,
जो पास होते हुए भी मैं कभी देख ना पाया,
वो बैठ चली सजी हुई डोली में खूबसूरत सी दुल्हन बन, और मैं तिरंगे में लिपटा हुआ चला आया,
एक ख़त लिखा था उसने जो मैं कभी पढ़ ना पाया।।
“लोहित टम्टा”

3 Likes · 2 Comments · 119 Views
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