Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jul 2016 · 1 min read

आँखें नम थी मगर मुस्कुराते रहे

दौरे गम में भी सबको हंसाते रहे .
आँखें नम थी मगर मुस्कुराते रहे .
किसमें हिम्मत जो हमपे सितम ढा सके .
वो तो अपने ही थे जो सताते रहे
जिन लबों को मुकम्मल हँसी हमने दी .
वो ही किस्तों में हमको रुलाते रहे .
उनको हमने सिखाया कदम रोपना .
जो हमें हर कदम पे गिराते रहे .
काश !मापतपुरी उनसे मिलते नहीं .
जो मिलाके नज़र फिर चुराते रहे .

——- सतीश मापतपुरी

2 Comments · 430 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

होलिका दहन कथा
होलिका दहन कथा
विजय कुमार अग्रवाल
23/202. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/202. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"दुनियादारी"
ओसमणी साहू 'ओश'
जिंदगी.... कितनी ...आसान.... होती
जिंदगी.... कितनी ...आसान.... होती
Dheerja Sharma
नेपाल के लुंबनी में सफलतापूर्ण समापन हुआ सार्क समिट एवं गौरव पुरुस्कार समारोह
नेपाल के लुंबनी में सफलतापूर्ण समापन हुआ सार्क समिट एवं गौरव पुरुस्कार समारोह
The News of Global Nation
-  मिलकर उससे
- मिलकर उससे
Seema gupta,Alwar
मेरी मोमबत्ती तुम।
मेरी मोमबत्ती तुम।
Rj Anand Prajapati
बाबा लक्ष्मण दास की समाधि पर लगे पत्थर पर लिखा हुआ फारसी का
बाबा लक्ष्मण दास की समाधि पर लगे पत्थर पर लिखा हुआ फारसी का
Ravi Prakash
एक दिन की बात बड़ी
एक दिन की बात बड़ी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कुछ नींदों से अच्छे-खासे ख़्वाब उड़ जाते हैं,
कुछ नींदों से अच्छे-खासे ख़्वाब उड़ जाते हैं,
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
*बादलों की दुनिया*
*बादलों की दुनिया*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
आसान बात नहीं हैं,‘विद्यार्थी’ हो जाना
आसान बात नहीं हैं,‘विद्यार्थी’ हो जाना
Keshav kishor Kumar
स्वागत !
स्वागत !
गौ नंदिनी डॉ विमला महरिया मौज
धृतराष्ट्र की आत्मा
धृतराष्ट्र की आत्मा
ओनिका सेतिया 'अनु '
गुरुपूर्व प्रकाश उत्सव बेला है आई
गुरुपूर्व प्रकाश उत्सव बेला है आई
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
6) जाने क्यों
6) जाने क्यों
पूनम झा 'प्रथमा'
----- स्वप्न सलौने -----
----- स्वप्न सलौने -----
पंकज परिंदा
गंगा की जलधार
गंगा की जलधार
surenderpal vaidya
हर रोज़ सोचता हूं यूं तुम्हें आवाज़ दूं,
हर रोज़ सोचता हूं यूं तुम्हें आवाज़ दूं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्रेम
प्रेम
Shyam Sundar Subramanian
बहुत दाम हो गए
बहुत दाम हो गए
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमा
मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमा
Rituraj shivem verma
अबकि सावनमे , चले घरक ओर
अबकि सावनमे , चले घरक ओर
श्रीहर्ष आचार्य
सुबह-सुबह की बात है
सुबह-सुबह की बात है
Neeraj Agarwal
पसीना पानी देता मुझको,
पसीना पानी देता मुझको,
TAMANNA BILASPURI
प्रहरी नित जागता है
प्रहरी नित जागता है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
होली पर दोहे
होली पर दोहे
आर.एस. 'प्रीतम'
"बस्तर हाट"
Dr. Kishan tandon kranti
उन्मादी चंचल मन मेरे...
उन्मादी चंचल मन मेरे...
Priya Maithil
" ब्रह्माण्ड की चेतना "
Dr Meenu Poonia
Loading...