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19 May 2023 · 1 min read

अहंकार

अहंकार –

अंहकार एक आग है पल पल बढ़ता जाय घूंट घूंट कर जीवन स्वाहा होत जाय ।।

द्वेष घृणा से अंहकार सन्यपात समान धीरे धीरे जीवन सुलगत जाय।।

प्रतिशोध भूमि है अहंकार विष बेल नित नित नव विकृत पनपत जाय।।

अहंकार शूल है जीवन पथ कठिन बनाय औरन पीड़ा अंत काल पछताय।।

अंहकार ज्वाला में कुछ शेष नही बच पाए पश्चाताप आंसू साथ संग रह जाय ।।

अहंकार से जीवित मृत समान बोझ स्वंय ढोवत जाय।।

अहंकार कुटिल विचार जीवन उजियार का आंधकार बन जाय।।

अहंकार विचलित मन दूषित विचार प्रदूषित काय चचंल चित्त मन चोर बसे करनी कथनी अंतर दिखाय ।।

अहंकार चतुर चालाक कौवा गिद्ध सा नोच नोच सब खाय।।

कपटी काया दूषित मन अहंकार अस्तित्व बताय अहंकार अज्ञानता अंतर्मन अंधकार।।

ज्ञान से अंधकार मिटे थोथा देई उड़ाय सार सार को आत्म साथ करे जीवन सफल बनाय।।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उतर प्रदेश।।

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 191 Views
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