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29 Apr 2023 · 1 min read

“अस्थिरं जीवितं लोके अस्थिरे धनयौवने |

“अस्थिरं जीवितं लोके अस्थिरे धनयौवने |
अस्थिरा: पुत्रदाराश्र्च धर्मकीर्तिद्वयं स्थिरम् ||”

इस जगत में जीवन सदा नहीं रहने वाला है, धन और यौवन भी सदा नहीं रहने वाले हैं, पुत्र और स्त्री भी सदा नहीं रहने वाले हैं। केवल धर्म और कीर्ति ही सदा-सदा के लिए रहते हैं।

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