Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Apr 2023 · 1 min read

“अस्थिरं जीवितं लोके अस्थिरे धनयौवने |

“अस्थिरं जीवितं लोके अस्थिरे धनयौवने |
अस्थिरा: पुत्रदाराश्र्च धर्मकीर्तिद्वयं स्थिरम् ||”

इस जगत में जीवन सदा नहीं रहने वाला है, धन और यौवन भी सदा नहीं रहने वाले हैं, पुत्र और स्त्री भी सदा नहीं रहने वाले हैं। केवल धर्म और कीर्ति ही सदा-सदा के लिए रहते हैं।

293 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mukul Koushik
View all
You may also like:
दोहा
दोहा
Dushyant Baba
गुदडी के लाल, लालबहादुर शास्त्री
गुदडी के लाल, लालबहादुर शास्त्री
Ram Krishan Rastogi
*एक शेर*
*एक शेर*
Ravi Prakash
आप और हम जीवन के सच
आप और हम जीवन के सच
Neeraj Agarwal
पिता की नियति
पिता की नियति
Prabhudayal Raniwal
तीन स्थितियाँ [कथाकार-कवि उदयप्रकाश की एक कविता से प्रेरित] / MUSAFIR BAITHA
तीन स्थितियाँ [कथाकार-कवि उदयप्रकाश की एक कविता से प्रेरित] / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
युँ ही नहीं जिंदगी हर लम्हा अंदर से तोड़ रही,
युँ ही नहीं जिंदगी हर लम्हा अंदर से तोड़ रही,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
फ़ालतू बात यही है
फ़ालतू बात यही है
gurudeenverma198
डा० अरुण कुमार शास्त्री
डा० अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मेरी फितरत
मेरी फितरत
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
अनजाने में भी कोई गलती हो जाये
अनजाने में भी कोई गलती हो जाये
ruby kumari
पति-पत्नी, परिवार का शरीर होते हैं; आत्मा तो बच्चे और बुजुर्
पति-पत्नी, परिवार का शरीर होते हैं; आत्मा तो बच्चे और बुजुर्
विमला महरिया मौज
ज़िंदगी मौत को तरसती है
ज़िंदगी मौत को तरसती है
Dr fauzia Naseem shad
आस्तीक भाग-चार
आस्तीक भाग-चार
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
चाँद की विकृति
चाँद की विकृति
*Author प्रणय प्रभात*
पता नहीं
पता नहीं
shabina. Naaz
छाती
छाती
Dr.Pratibha Prakash
सुबह – सुबह की भीनी खुशबू
सुबह – सुबह की भीनी खुशबू
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वार्तालाप अगर चांदी है
वार्तालाप अगर चांदी है
Pankaj Sen
खामोश आवाज़
खामोश आवाज़
Dr. Seema Varma
कहानियां
कहानियां
Alok Saxena
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
वो आवाज
वो आवाज
Mahendra Rai
रिश्तों को तू तोल मत,
रिश्तों को तू तोल मत,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
उम्र गुजर रही है अंतहीन चाह में
उम्र गुजर रही है अंतहीन चाह में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सबक ज़िंदगी पग-पग देती, इसके खेल निराले हैं।
सबक ज़िंदगी पग-पग देती, इसके खेल निराले हैं।
आर.एस. 'प्रीतम'
अजीब है भारत के लोग,
अजीब है भारत के लोग,
जय लगन कुमार हैप्पी
"खुद की तलाश"
Ajit Kumar "Karn"
चंद एहसासात
चंद एहसासात
Shyam Sundar Subramanian
कारगिल दिवस पर
कारगिल दिवस पर
Harminder Kaur
Loading...