Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jul 2022 · 1 min read

“अशांत” शेखर भाई के लिए दो शब्द –

रोज़ देखता हूँ ‘अशांत’, हर मतला बवाल है |
शेखर तेरी कलम में, वाकई कमाल है ||
——————————————
लक्ष्मण ‘बिजनौरी’

3 Likes · 2 Comments · 114 Views
You may also like:
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
बाल कहानी- बाल विवाह
बाल कहानी- बाल विवाह
SHAMA PARVEEN
तुम्हारे जाने के बाद...
तुम्हारे जाने के बाद...
Prem Farrukhabadi
किंकर्तव्यविमुढ़
किंकर्तव्यविमुढ़
पूनम झा 'प्रथमा'
जीवन हमारा रैन बसेरा
जीवन हमारा रैन बसेरा
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
"बाला किला अलवर"
Dr Meenu Poonia
माँ बहन बेटी के मांनिद
माँ बहन बेटी के मांनिद
Satish Srijan
दिल से दिल को जोड़, प्रीति रंग गाती होली
दिल से दिल को जोड़, प्रीति रंग गाती होली
Pt. Brajesh Kumar Nayak
साथ जीने के लिए
साथ जीने के लिए
surenderpal vaidya
!! मुसाफिर !!
!! मुसाफिर !!
RAJA KUMAR 'CHOURASIA'
बैठ पास तू पहलू में मेरे।
बैठ पास तू पहलू में मेरे।
Taj Mohammad
यादों की परछाइयां
यादों की परछाइयां
Shekhar Chandra Mitra
पर खोल…
पर खोल…
Rekha Drolia
रविवार
रविवार
Shiva Awasthi
"सन्तुलन"
Dr. Kishan tandon kranti
✍️ 'कामयाबी' के लिए...
✍️ 'कामयाबी' के लिए...
'अशांत' शेखर
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
सजल
सजल
Rashmi Sanjay
■ सामयिक चिंतन
■ सामयिक चिंतन
*Author प्रणय प्रभात*
काश ये नींद भी तेरी याद के जैसी होती ।
काश ये नींद भी तेरी याद के जैसी होती ।
Amit Kumar
नंदक वन में
नंदक वन में
Dr. Girish Chandra Agarwal
बहाना क्यूँ बनाते हो ( सवाल-1 )
बहाना क्यूँ बनाते हो ( सवाल-1 )
bhandari lokesh
चुपके से चले गये तुम
चुपके से चले गये तुम
Surinder blackpen
तुझसे मिलकर बिछड़ना क्या दस्तूर था (01)
तुझसे मिलकर बिछड़ना क्या दस्तूर था (01)
Dr. Pratibha Mahi
💐प्रेम कौतुक-494💐
💐प्रेम कौतुक-494💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
रामपुर महोत्सव प्रतीक चिन्ह (लोगो)* *प्रतियोगिता में मेरा लोगो पुरस्कृत*
रामपुर महोत्सव प्रतीक चिन्ह (लोगो)* *प्रतियोगिता में मेरा लोगो पुरस्कृत*
Ravi Prakash
जवाब बन जाता
जवाब बन जाता
Dr fauzia Naseem shad
पढ़ते कहां किताब का
पढ़ते कहां किताब का
RAMESH SHARMA
इन  आँखों  के  भोलेपन  में  प्यार तुम्हारे  लिए ही तो सच्चा है।
इन आँखों के भोलेपन में प्यार तुम्हारे लिए ही तो...
Sadhnalmp2001
आकर्षण
आकर्षण
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...