Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Mar 2023 · 1 min read

अव्यक्त प्रेम

शायद नहीं
कह पाये तुम कभी
अपने हृदय की बात।
ये एकतरफा प्यार
भी अदभूत शक्ति देता है।
जीने की
ग़म छुपा कर हंसने की।
कुछ ख़त भी रखें होंगे
किसी पुस्तक के पन्नों में छिपा।
जो तुमने कभी मुझे दिये ही नहीं।
एक डायरी में कुछ सूखे गुलाब
भी होंगे
जो अनायास कभी निकल आये तो
यादों में खो जाते होंगे तुम।
कभी कभी गुस्सा भी आता होगा
अपने अव्यक्त प्रेम पर।
सोचते रह गये
जज़्बात कोहराम मचाते रहे होंगे
चीखते रहे होंगे अल्फ़ाज़
पर तुम लब न हिला पाये
एक इशारा ही कर दिया होता
ये भी मन में ख्याल आता होगा
पर तूने तो आंख उठाकर
देखा ही नहीं
और उलझे रहे मन ही मन
निहारते रहे मुझे आते जाते
करीब से गुजरते
बस ,……मौन।
और मैं,………
इंतजार में रही
तुम्हारे_____?
मोन😯😯
Surinder Kaur

Language: Hindi
2 Comments · 479 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Surinder blackpen
View all
You may also like:
एक एहसास
एक एहसास
Dr fauzia Naseem shad
रिश्ता
रिश्ता
Santosh Shrivastava
23/19.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/19.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"सागर की बेटी"
Dr. Kishan tandon kranti
“गर्व करू, घमंड नहि”
“गर्व करू, घमंड नहि”
DrLakshman Jha Parimal
याद है पास बिठा के कुछ बाते बताई थी तुम्हे
याद है पास बिठा के कुछ बाते बताई थी तुम्हे
Kumar lalit
.
.
*प्रणय प्रभात*
शुभ धाम हूॅं।
शुभ धाम हूॅं।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
घर से निकले जो मंज़िल की ओर बढ़ चले हैं,
घर से निकले जो मंज़िल की ओर बढ़ चले हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दिल ऐसी चीज़ है जो किसी पर भी ग़ालिब हो सकती है..
दिल ऐसी चीज़ है जो किसी पर भी ग़ालिब हो सकती है..
पूर्वार्थ
नींद ( 4 of 25)
नींद ( 4 of 25)
Kshma Urmila
लोग मुझे अक्सर अजीज समझ लेते हैं
लोग मुझे अक्सर अजीज समझ लेते हैं
सिद्धार्थ गोरखपुरी
पतंग
पतंग
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
*गठरी बाँध मुसाफिर तेरी, मंजिल कब आ जाए  ( गीत )*
*गठरी बाँध मुसाफिर तेरी, मंजिल कब आ जाए ( गीत )*
Ravi Prakash
बोलो_क्या_तुम_बोल_रहे_हो?
बोलो_क्या_तुम_बोल_रहे_हो?
संजीव शुक्ल 'सचिन'
कुंडलिनी छंद
कुंडलिनी छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कहने की कोई बात नहीं है
कहने की कोई बात नहीं है
Suryakant Dwivedi
हम हिंदुओ का ही हदय
हम हिंदुओ का ही हदय
ओनिका सेतिया 'अनु '
जग कल्याणी
जग कल्याणी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मतदान
मतदान
Anil chobisa
पधारे दिव्य रघुनंदन, चले आओ चले आओ।
पधारे दिव्य रघुनंदन, चले आओ चले आओ।
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मेरी तुझ में जान है,
मेरी तुझ में जान है,
sushil sarna
बापू गाँधी
बापू गाँधी
Kavita Chouhan
घूँघट के पार
घूँघट के पार
लक्ष्मी सिंह
कौन यहाँ पर किसकी ख़ातिर,, बैठा है,,
कौन यहाँ पर किसकी ख़ातिर,, बैठा है,,
Shweta Soni
देखिए लोग धोखा गलत इंसान से खाते हैं
देखिए लोग धोखा गलत इंसान से खाते हैं
शेखर सिंह
एक डरा हुआ शिक्षक एक रीढ़विहीन विद्यार्थी तैयार करता है, जो
एक डरा हुआ शिक्षक एक रीढ़विहीन विद्यार्थी तैयार करता है, जो
Ranjeet kumar patre
Beginning of the end
Beginning of the end
Bidyadhar Mantry
नजरे मिली धड़कता दिल
नजरे मिली धड़कता दिल
Khaimsingh Saini
Loading...