ज़िन्दगी की धूप…

जिंदगी की धुप तो हैं बड़ी ही कठिन
लेकिन… जीने के लिए अंदर से
व्याकुलता होनी चाहिए…!
शायद इतनी धूपमें जीने का,
उदेश्य खत्म हो जाये,
लेकिन… शब्दोनें हमें सतत दी हैं
प्रेरणा जीने की…!!
कड़ी धूप में जिंदगी कहती हैं दोड़ो
क्यों की….. तभी मुमकिन होगा
ढलती शाममें बीतें दिनों को
याद कर… साथ बैठना…!!!!!