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14 Jul 2022 · 1 min read

“अल्फाज़ कहां से लाते हो”। सिर्फ ओ सिर्फ “अशांत”शेखर जी आपके लिए।

इतने गहरे अल्फाज़ कहां से लाते हो।
पढ़कर दिल में उतर जाते है ये जज़्बात कहां से लाते हो।।1।।

लिखी बातों को अकबर बना देते हो।
सुकून देते है जिस्मे रूह को ये अहसास कहां से लाते हो।।2।।

आदत पड़ गयी है तुमको पढ़ने की।
यूं इतना गहरा लिखने का तुम ये अंदाज कहां से लाते हो।।3।।

तुम्हें पढ़कर हर जंग जीत लेता हूं।
गमों को मिटाते हो यह हर्फों के जाबांज कहां से लाते हो।।4।।

लिखने का आगाज़ नही पाता हूं।
लिखने का हमको हुनर बताओं शुरुआत जहां से लाते हो।।5।।

यहां हर कोई ही दुश्मनी रखता है।
हुजूम इकट्ठा कर लेते हो लोगो का साथ कहां से पाते हो।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

4 Likes · 15 Comments · 176 Views
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