अलविदा

आप जा चुके हो, बस मैं भी आ रहा हूँ,
समेट लूँ कुछ ज़रूरी सामान,
बस फिर अलविदा बुला रहा हूँ।
आख़िरी पल हैं गिरहों को, गाँठों को खोल दूँ,
कुछ दिल में दबे पल हैं, जिनसे लिपट कर दिल की बोल दूँ।
जान निकल चुकी है काया बची थी, दफ़ना रहा हूँ,
आप जा चुके हो, बस मैं भी आ रहा हूँ।
डॉ राजीव
चंडीगढ़।