अलविदा कह के रुलाकर चल दिए
फैसला अपना सुनाकर चल दिए
अलविदा कह के रुलाकर चल दिए
खुद निभा पाये नहीं अपनी वफ़ा
बेवफा हमको बताकर चल दिए
साथ अपने ले गए वो हर ख़ुशी
दर्द का दामन थमाकर चल दिए
ढूंढते हम में रहे वो बस कमी
और खुद दर्पण दिखाकर चल दिए
साथ चलने का था जब वादा किया
क्यों कदम पीछे हटाकर चल दिए
अब अँधेरे ही बचे हैं ‘अर्चना’
दीप सारे वो बुझा कर चल दिए
डॉ अर्चना गुप्ता