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6 Oct 2016 · 1 min read

अर्पित है

मन समर्पित है मन अर्पित है .
लिखने को एक नई मधुशाला.

साकी कैसे कैसे लिखूं मै तू.
बतलाना मुझको आज फिर तू.

एक रहस्य नया उडेल दू मै.
बनाने मे मृदु मधुशाला को मै.

घोट घोट कर मधुर मधु उडेला.
प्रेम कशिशता चाह उडेली मैने.

आज पूरी ना कर सकी मै शाला.
भाव वेग विशाल है फिर कैसे मै.

करू पूरी इस मधुशाला को मै.
प्रयासरत समर्पित हूँ पूरी करने को.

डॉ मधु त्रिवेदी

Language: Hindi
Tag: कविता
72 Likes · 235 Views

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