*अरुण (कुंडलिया)*

*अरुण (कुंडलिया)*
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आया पूरब से अरुण ,पिघला जैसे स्वर्ण
हर्ष- मग्न होने लगे , पक्षी पौधे पर्ण
पक्षी पौधे पर्ण , लालिमा नभ में छाई
तरुणाई से दीप्त , मनुज ने ली अँगड़ाई
कहते रवि कविराय ,दृश्य अद्भुत कहलाया
उतर स्वर्ग से रूप ,धरा पर मानो आया
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*रचयिता : रवि प्रकाश ,* बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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*अरुण =* गहरा लाल रंग का , प्रातः कालीन सूर्य
*पर्ण =* पेड़ का पत्ता