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4 Apr 2020 · 1 min read

अब भी टाइम बचा बहुत है

मानवता को मानो भाई
मजहब में तो खचा बहुत है।

सारी दुनिया मे अब देखो
कोरोना का गचा बहुत है।।

घृणा-द्वेष वश था गुर्राता
देखो दुश्मन नचा बहुत है।

किया मूर्खता लापरवाही
दर्द से पीड़ित चचा बहुत है।।

शोषण किया प्रकृति का भारी
तभी तांडव मचा बहुत है।

जनसंख्या भी बढ़ गई इतनी
डग-डग में जन ठचा बहुत है।।

जिसने स्वार्थ में लूटा पीटा
आखिर खाया दचा बहुत है।

मानव को मानव न माना
मुझे जानवर जँचा बहुत है।।

चेहरा बना रखा है भोला
मन में शाजिस रचा बहुत है।

देर करो मत ‘कौशल’ सुधरो
अब भी टाइम बचा बहुत है।।

©कौशलेंद्र सिंह लोधी ‘कौशल’

1 Like · 269 Views
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