अब गूंजेगे मोहब्बत के तराने

सुनाने लगी ज़िंदगी नये फसाने।
अभी गूंजेगे मोहब्बत के तराने।
बहुत खुशनुमा होंगी ये बहारें
बहुत वादे हमें पड़ेंगे निभाने
बदल चुका है मौसम दिल का
जितने चाहो, तुम बनाओ बहाने।
किसी के लबों को हंसी देकर
यकीनन लगोगे तुम भी मुस्कराने
बच सकते हो बचिये इश्क से
ऐसा न हो पड़े आंसू बहाने।
सुरिंदर