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16 May 2022 · 1 min read

अब कहां कोई।

अब कहां कोई ग़ज़ल लिखता है।
हर शायर लिखने का कारोबार करता है।।1।।

जो बिक जाए ज्यादा से ज्यादा।
हर कोई बाजार ए मुताबिक लिखता है।।2।।

अहसासों को गंदा कर दिया है।
अब कहां कोई मंजनू लैला पर मरता है।।3।।

अलफाजों का बाज़ार हो गया है।
इनसे हर इंसान अब सियासत करता है।।4।।

अल्फाजों का घाव गहरा होता है।
आदमी इसके वार से जीता ना मरता है।।5।।

करके शैतानी मासूम बन जाते है।
जब झूठे अल्फाजों का सहारा मिलता है।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

2 Likes · 2 Comments · 262 Views
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