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19 Aug 2021 · 1 min read

अफगानी औरतों के हक में …

छीनना चाहते हो तुम उससे ,
इल्म और तालीम का हक।

तुम्हीं उसका रोजगार करना,
आत्म निर्भर बनना पसंद नही ।

तुम ये भी नहीं चाहते की वो ,
अपनी आजादी से जिंदगी जिए।

तुम्हें उसका अपनी पसंद से,
जीवन साथी चुनना भी गंवारा नहीं ।

तुम्हें क्या लगता है खुदा ने उसे ,
सिर्फ तुम्हारी बांदी बनाकर भेजा है ।

तुम्हारे लिए वो इंसान तो है नहीं ,
एक उपभोग की वस्तु है बस !

तुम्हारे लिए दर्जनों बच्चे पैदा ,
करने वाली एक मशीन है बस!

बड़ी घटिया सोच है तुम्हारी ,
इस सोच को अब बदलना होगा ।

विश्व के देशों ने औरतों के बल पर ,
बहुत विकास हो रहा है ।

तुमने उसे शरीयत कानून की ,
संकीर्ण बेड़ियों से बांध रखा है ।

खुदा की वो खूबसूरत और महान ,
रचना है तुम जैसे वहशी क्या समझेंगे ।

तुम अब इंतजार करो कयामत का ,
तुम्हें तो अब खुदा ही समझेंगे ।

Language: Hindi
Tag: कविता
8 Likes · 8 Comments · 365 Views

Books from ओनिका सेतिया 'अनु '

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