Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Aug 2016 · 1 min read

अपनी क़सम न दो मुझे लाचार मैं भी हूँ

अपनी क़सम न दो मुझे लाचार मैं भी हूँ
मजबूरियों के हाथ गिरफ्तार मैं भी हूँ

मैं देख ये रहा हूँ कहाँ तक हैं किमतें
दुनिया समझ रही है खरीदार मैं भी हूँ

दुनिया तो खैर है ही ये जैसे भी है मगर 
कुछ अपनी हालतों का ‘ख़तावार’ मैं भी हूँ

अब इस त’ल्लुक़ात को आगे बढाएें हम 
तू बे’वफा नहीं तो वफादार मैं भी हूँ

सूरज पहन के कौन निकलता है रात मैं
बुझते हुऐ चराग़ के इस पार मैं भी हूँ

        
  – नासिर राव

501 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सामाजिक न्याय
सामाजिक न्याय
Shekhar Chandra Mitra
वाकिफ़ हूं मैं हदों से अपनी,
वाकिफ़ हूं मैं हदों से अपनी,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
रिश्ते
रिश्ते
Shutisha Rajput
कल बहुत कुछ सीखा गए
कल बहुत कुछ सीखा गए
Dushyant Kumar Patel
हिंदुस्तानी है हम सारे
हिंदुस्तानी है हम सारे
Manjhii Masti
कोई तो कोहरा हटा दे मेरे रास्ते का,
कोई तो कोहरा हटा दे मेरे रास्ते का,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
श्रीराम धरा पर आए थे
श्रीराम धरा पर आए थे
सिद्धार्थ गोरखपुरी
आप तो आप ही हैं
आप तो आप ही हैं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
चाँदनी
चाँदनी
नन्दलाल सुथार "राही"
दुःख के संसार में
दुःख के संसार में
Buddha Prakash
क्या कहें?
क्या कहें?
Srishty Bansal
वो पुरानी सी दीवारें
वो पुरानी सी दीवारें
शांतिलाल सोनी
क्यों हो गए हम बड़े
क्यों हो गए हम बड़े
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
سب کو عید مبارک ہو،
سب کو عید مبارک ہو،
DrLakshman Jha Parimal
होली आयी होली आयी
होली आयी होली आयी
Rita Singh
रात एक खिड़की है
रात एक खिड़की है
Surinder blackpen
धैर्य
धैर्य
लक्ष्मी सिंह
हाँ, मैं ऐसा तो नहीं था
हाँ, मैं ऐसा तो नहीं था
gurudeenverma198
विवश मनुष्य
विवश मनुष्य
AMRESH KUMAR VERMA
बेटी पढ़ायें, बेटी बचायें
बेटी पढ़ायें, बेटी बचायें
Kanchan Khanna
*हमेशा जिंदगी की एक, सी कब चाल होती है (हिंदी गजल)*
*हमेशा जिंदगी की एक, सी कब चाल होती है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
ज़िंदगी, ज़िंदगी ही होती है
ज़िंदगी, ज़िंदगी ही होती है
Dr fauzia Naseem shad
जैसे
जैसे
Dr.Rashmi Mishra
अगर हो हिंदी का देश में
अगर हो हिंदी का देश में
Dr Manju Saini
दो पल मोहब्बत
दो पल मोहब्बत
डॉ.श्री रमण 'श्रीपद्'
फिर वो मेरी शख़्सियत को तराशने लगे है
फिर वो मेरी शख़्सियत को तराशने लगे है
'अशांत' शेखर
ऐ आसमां ना इतरा खुद पर
ऐ आसमां ना इतरा खुद पर
शिव प्रताप लोधी
मत समझना....
मत समझना....
Seema 'Tu hai na'
परिस्थितियां अनुकूल हो या प्रतिकूल  ! दोनों ही स्थितियों में
परिस्थितियां अनुकूल हो या प्रतिकूल ! दोनों ही स्थितियों में
तरुण सिंह पवार
जल से सीखें
जल से सीखें
Saraswati Bajpai
Loading...