पता ही नहीं चला

किसने ,कब मुझे छला।
पता ही नहीं चला।
इश्क करके क्या मिला।
दिल तिल तिल कर जला।
मना किया था सबने
ये इश्क़ है बुरी बला।
दिल नहीं माना मगर
रोज़ उसी डगर चला।
बावफा की तलाश करो
हर शख्स बेवफा मिला।
कांटों भरे है रास्ते
आ प्यार की शमा जला।
सुरिंदर कौर