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12 Feb 2024 · 1 min read

अनुभूति

आजकल हम लोग
अपनी इन नकारात्मक,
आदतों को,
बनाते नहीं सकारात्मक,
जीवन की गति का आधार,
यही भाव होते साकार,
तब लेता है जीवन आकार,
हवा के झोंके सा मन,
इधर उधर डोलता है,
बस अपने स्वार्थ को ही,
सारी हद टटोलता है।
आजकल हम बन रहे ,
मतलबपरस्त,
इसी आदत में,
हो रहे अभ्यस्त।
संकल्प विकल्प में,
उलझ रहे हैं।
तनाव मे भरे है,
न सुलझ रहे है,
एक हवा,
लहरा दो
सकारात्मकता की।
त्याग दें हम राह
नकारात्मकता की।

डा. पूनम पांडे

Language: Hindi
3 Likes · 122 Views
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