अनकही दोस्ती
वो दिन और उस मीठे अहसास को मैं कभी भूल नहीं पाऊंगा, और ना ही भूलना चाहता हूं. मेरा उनसे पहला मुलाकात था जिसका अहसास आज भी मेरे साथ है. उस दिन मैं स्कूल कुछ समय पहले आ गया था और यूं ही गेट के पास खड़ा था. तभी अचानक एक मनमोहक और आकर्षित मुस्कान भरा चेहरा मेरे सामने आ खड़ी हुई. उसका पहला वाक्य था…. “सुनिए मैं आज स्कूल में पहले दिन आई हूं कृपया मुझे 11वीं आर्ट्स का रूम बता दीजिए”. मैं ठगा सा एकटक उसे ही देखे जा रहा था, वो सुंदर सौम्य चेहरा, वो काली और बड़ी-बड़ी आंखें मैं निहारे जा रहा था.
पता नहीं कैसे उसे देखते ही मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई. मैं कुछ बोल नहीं पाया और क्लास रूम की तरफ उंगली से इशारा कर दिया. मैं उस रात बिल्कुल ही नहीं सो पाया.
दूसरे ही दिन से आलम यह था कि निगाहें हर वक्त बस उसे ही तलासते रहता. मैं उनसे बात करना चाहता था पर संकोचवश कुछ बोल नहीं पाता, लेकिन यह जानने की लिए दिल हमेशा बेताब रहता कि उसके दिल में क्या है.
एक दिन मैं उसे अपने दिल की बात कहने ही जा रहा था कि मेरे मन में एक सवाल उठा कि कहीं वो मेरी बात सुनकर नाराज हो गई तो….?. अभी वो मुझे जिस तरह से जानती है, उसी तरह से जानती रहे. वो मेरी तरफ देखती है, मुझसे बातें करती है, यही मेरे लिए बहुत है.
बस उस दिन से आज तक वो मेरे लिए सब कुछ बन गई है. पहली नजर का वो अहसास मुझे उनके इतने करीब ले गया कि मैंने उसे प्यार से एक नाम दिया है “अनि”. ईश्वर से प्रार्थना है कि मेरी अनकही दोस्ती यूं ही बना रहे, वो जहां कहीं भी रहे, सदा खुश रहे.
✍️_ राजेश बंछोर “राज”
हथखोज (भिलाई), छत्तीसगढ़, 490024