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20 May 2024 · 1 min read

अनकहा

जिंदगी में बहुत कुछ कहा
जिंदगी में बहुत कुछ सुना
फिर भी कुछ अनकहा रहा
इस कहे और अनकहे के
बीच एक है दरार
जिसे पाटती है मेरी कविता
जो सत्य और असत्य को समझती है
जो आंखों से नहीं
दिल से आदमी को पढ़ती है
इस अनकहे से ही
मेरी कविता बनती है
मधु शाह

2 Likes · 74 Views
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