Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Mar 2024 · 1 min read

अधूरे सवाल

ज़िंदगी में कुछ सवाल
अधूरे रह जाते हैं ,
जिनका मतलब हम ज़िंदगी भर
खोज ना पाते हैं ,
कुछ रिश्ते ,कुछ मरासिम,
इस कदर पेश आते हैं,
जिनको सोच कर भी
हम समझ ना पाते हैं ,
झूठ के लिबास में हक़ीक़त
छुपी रह जाती है ,
लाख कोशिशों पर भी उजागर
नहीं हो पाती है ,
साज़िशों के भंवर,
इस कदर गहरे होते हैं,
जिनमें फंस कर हम कभी
उबर नहीं पाते हैं,
जो जैसा दिखता है,
उसे हम वैसा नहीं पाते हैं,
तकल्लुफ़ और अख़्लाक के फ़र्क से
हम अनजान रहते हैं,
इंसां की दोहरी ज़िंदगी
सवाल खड़े करती है ,
समझने की कोशिश से
उलझन बढ़ती जाती है,
बातों और एहसासात के पेंच इतने
उलझे हुए होते हैं ,
जिनको सुलझाने की मश़क्कत मे हम और
उलझ कर रह जाते हैं ,
मदद-गार की खुदगर्ज़ी को हम
जान ना पाते हैं ,
फ़रेब-कार दोस्त को हम
पहचान ना पाते हैं ,
फ़ितरत की करवट से हम
बे-ख़बर रहते है ,
अपनो की पहुंचाई चोट से हम
बे-असर रहते हैं ,
औरों की खातिर अपने आप को क़ुर्बान कर,
ख़ुदी को भूल बे-ख़ुद से हो जाते हैं।

4 Likes · 118 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
सुशील कुमार मोदी जी को विनम्र श्रद्धांजलि
सुशील कुमार मोदी जी को विनम्र श्रद्धांजलि
विक्रम कुमार
श्राद्ध
श्राद्ध
Mukesh Kumar Sonkar
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अवध स' आबू ने श्रीराम...
अवध स' आबू ने श्रीराम...
मनोज कर्ण
दिल के रिश्ते
दिल के रिश्ते
Surinder blackpen
खेल और भावना
खेल और भावना
Mahender Singh
गुरु ही वर्ण गुरु ही संवाद ?🙏🙏
गुरु ही वर्ण गुरु ही संवाद ?🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"" *सिमरन* ""
सुनीलानंद महंत
* खिल उठती चंपा *
* खिल उठती चंपा *
surenderpal vaidya
मैं मधुर भाषा हिन्दी
मैं मधुर भाषा हिन्दी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
तुम जो हमको छोड़ चले,
तुम जो हमको छोड़ चले,
कृष्णकांत गुर्जर
ज़िंदगी की दौड़
ज़िंदगी की दौड़
Dr. Rajeev Jain
*कल की तस्वीर है*
*कल की तस्वीर है*
Mahetaru madhukar
..
..
*प्रणय प्रभात*
रजस्वला
रजस्वला
के. के. राजीव
मैं अपने लिए नहीं अपनों के लिए जीता हूं मेरी एक ख्वाहिश है क
मैं अपने लिए नहीं अपनों के लिए जीता हूं मेरी एक ख्वाहिश है क
Ranjeet kumar patre
अच्छी लगती धर्मगंदी/धर्मगंधी पंक्ति : ’
अच्छी लगती धर्मगंदी/धर्मगंधी पंक्ति : ’
Dr MusafiR BaithA
3582.💐 *पूर्णिका* 💐
3582.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
दिल धड़क उठा
दिल धड़क उठा
अमित
खोज सत्य की जारी है
खोज सत्य की जारी है
महेश चन्द्र त्रिपाठी
एक झलक
एक झलक
Dr. Upasana Pandey
अच्छी तरह मैं होश में हूँ
अच्छी तरह मैं होश में हूँ
gurudeenverma198
पिता का पेंसन
पिता का पेंसन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
तुझसे रिश्ता
तुझसे रिश्ता
Dr fauzia Naseem shad
*जिंदगी से हर किसी को, ही असीमित प्यार है (हिंदी गजल)*
*जिंदगी से हर किसी को, ही असीमित प्यार है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
लफ्जों के जाल में उलझा है दिल मेरा,
लफ्जों के जाल में उलझा है दिल मेरा,
Rituraj shivem verma
एक गलत निर्णय हमारे वजूद को
एक गलत निर्णय हमारे वजूद को
Anil Mishra Prahari
एक उड़ान, साइबेरिया टू भारत (कविता)
एक उड़ान, साइबेरिया टू भारत (कविता)
Mohan Pandey
***
*** " आधुनिकता के असर.......! " ***
VEDANTA PATEL
फनीश्वरनाथ रेणु के जन्म दिवस (4 मार्च) पर विशेष
फनीश्वरनाथ रेणु के जन्म दिवस (4 मार्च) पर विशेष
Paras Nath Jha
Loading...