Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Nov 2022 · 2 min read

अतीत के झरोखों से

अतीत के झरोखों से
————————————————–
प्रदीप : श्री दिवाकर राही का हिंदी साप्ताहिक (26-1-1955 से 18-7-1966)
🍀☘🌹🌻☘🍀🌻🌹🍀☘🌻
“प्रदीप” रामपुर से “ज्योति” के बाद प्रकाशित दूसरा हिंदी साप्ताहिक था ।यह श्री रघुवीर शरण दिवाकर राही का पत्र था जो उर्दू के जाने-माने शायर, हिंदी के प्रतिभाशाली कवि, प्रखर चिंतक तथा दीवानी मामलों के ऊँचे दर्जे के वकील थे।
प्रदीप का पहला अंक 26 जनवरी 1955 को तथा अंतिम अंक 18 जुलाई 1966 को प्रकाशित हुआ। इस तरह साढे़ दस वर्षों तक प्रदीप ने रामपुर के साहित्यिक, सामाजिक और राजनीतिक जीवन में अपनी धारदार लेखनी की एक अलग ही पहचान बनाई ।यह उचित ही था क्योंकि श्री दिवाकर राही उन लेखकों में से थे, जिनकी लेखनी की सुगंध से ही यह पता लगाया जा सकता था कि यह लेख श्री दिवाकर राही.का है। ऐसी सुगठित ड्राफ्टिंग जो दिवाकर जी लिखते थे ,भला और कौन लिख सकता था । सधे हुए शब्दों में अपनी बात को कहना और विरोधी को निरुत्तर कर देना ,यह केवल दिवाकर जी के ही बूते की बात थी ।
प्रदीप ने प्रकाशित होते ही अपनी गहरी छाप पाठकों पर छोड़ी । स्थानीय समाचारों से लेकर राष्ट्रीय परिदृश्य पर प्रदीप की गहरी नजर थी। इसके विशेषाँक अनूठे होते थे और उसमें काव्यात्मक टिप्पणियाँ विशेषाँक को चार चाँद लगा देती थीं। दिवाकर जी की जैसी विचारधारा थी, उसके अनुरूप प्रदीप ने धर्मनिरपेक्ष ,समाजवादी और बल्कि कहना चाहिए कि मनुष्यतावादी दृष्टिकोण को सामने रखकर अपनी यात्रा आरंभ की।
प्रदीप निडर था और किसी के सामने झुकने वाला नहीं था । जो सत्य था, उसी को पाठकों के सामने प्रस्तुत करने में प्रदीप का विश्वास था । प्रदीप वास्तव में देखा जाए तो खोजी पत्रकारिता और घोटालों को उजागर करने की दृष्टि से भी एक गंभीर पत्र रहा। यह सब इस बात को दर्शाता है कि प्रदीप की स्थापना और उसका संचालन श्री रघुवीर शरण दिवाकर राही के जिस योग्य हाथों में था ,वह निर्मल विचारों को वातावरण में बिखेरने में विश्वास करते थे। आदर्श हमेशा ऊँचा ही होना चाहिए, यह दिवाकर जी का मानना था। और यही प्रदीप का भी ध्येय था।
मैंने 1985 में जब दिवाकर जी का ” रामपुर के रत्न” पुस्तक के लिए इंटरव्यू लिया था, तब उसके बाद उन्होंने सौभाग्य से प्रदीप के प्रवेशांक का पृष्ठ तीन और चार भेंट स्वरूप मुझे दिया, जो मेरे पास एक अमूल्य दस्तावेज के रूप में सुरक्षित रहा।
————————————————–
लेखक : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 545 1

Language: Hindi
Tag: संस्मरण
33 Views

Books from Ravi Prakash

You may also like:
नमन करूँ कर जोर
नमन करूँ कर जोर
Dr. Sunita Singh
शब्द यदि हर अर्थ का, पर्याय होता जायेगा
शब्द यदि हर अर्थ का, पर्याय होता जायेगा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
गौरवशाली राष्ट्र का गौरवशाली गणतांत्रिक इतिहास
गौरवशाली राष्ट्र का गौरवशाली गणतांत्रिक इतिहास
पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'
बुलेटप्रूफ गाड़ी
बुलेटप्रूफ गाड़ी
Shivkumar Bilagrami
"प्यारे मोहन"
पंकज कुमार कर्ण
सुप्रभातं
सुप्रभातं
Dr Archana Gupta
Hero of your parents 🦸
Hero of your parents 🦸
ASHISH KUMAR SINGH
वो इश्क किस काम का
वो इश्क किस काम का
Ram Krishan Rastogi
प्रयत्न लाघव और हिंदी भाषा
प्रयत्न लाघव और हिंदी भाषा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
■ सियासी गलियारा
■ सियासी गलियारा
*Author प्रणय प्रभात*
इस बार फागुन में
इस बार फागुन में
Rashmi Sanjay
बात तेरी करने को
बात तेरी करने को
Dr fauzia Naseem shad
दुःखडा है सबका अपना अपना
दुःखडा है सबका अपना अपना
gurudeenverma198
Advice
Advice
Shyam Sundar Subramanian
गीता के स्वर (2) शरीर और आत्मा
गीता के स्वर (2) शरीर और आत्मा
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
कर्मठता के पर्याय : श्री शिव हरि गर्ग
कर्मठता के पर्याय : श्री शिव हरि गर्ग
Ravi Prakash
^^बहरूपिये लोग^^
^^बहरूपिये लोग^^
गायक और लेखक अजीत कुमार तलवार
मजबूर दिल की ये आरजू
मजबूर दिल की ये आरजू
VINOD KUMAR CHAUHAN
हमारा सब्र तो देखो
हमारा सब्र तो देखो
Surinder blackpen
सच के सिपाही
सच के सिपाही
Shekhar Chandra Mitra
शायरी
शायरी
श्याम सिंह बिष्ट
The right step at right moment is the only right decision at the right occasion
The right step at right moment is the only right...
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जिन्दगी खर्च हो रही है।
जिन्दगी खर्च हो रही है।
Taj Mohammad
गीत
गीत
Shiva Awasthi
खुद को पुनः बनाना
खुद को पुनः बनाना
Kavita Chouhan
इन पैरो तले गुजरता रहा वो रास्ता आहिस्ता आहिस्ता
इन पैरो तले गुजरता रहा वो रास्ता आहिस्ता आहिस्ता
'अशांत' शेखर
भोक
भोक
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
कुछ गङबङ है!!
कुछ गङबङ है!!
Dr. Nisha Mathur
” INDOLENCE VS STRENUOUS”
” INDOLENCE VS STRENUOUS”
DrLakshman Jha Parimal
💐अज्ञात के प्रति-99💐
💐अज्ञात के प्रति-99💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...