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9 Jan 2022 · 1 min read

अटल रहा भरमाय।

सरसी छंद
विधा:पद
अटल रहा भरमाय।
कंचन काया ये सब माया, माटी में मिल जाय।
ये दुनिया तो एक बसेरा,साथ न कुछ भी जाय।।
खोस खोस कर गठरी भर ली, चैन न फिर भी आय।
जाने सब कुछ मनवा मेरा,फिर भी मन भरमाय।
छूट जायेगा सब कुछ जग में,सत्य मगर झुठलाय।
सूरज निकले चंदा निकले, समयबद्ध छुप जाय।
रात दिवस की यही कहानी, देखि देखि चकराय।
काल गाल में समा गये सब,अमर यहां पर नाय।

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 163 Views

Books from अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि

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