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19 Aug 2023 · 1 min read

अज्ञानी की कलम

अज्ञानी की कलम
कुछ अजीब से, जगत के रीति-रिवाज़ हैं।
झूठों की सुनाई होती है गरीबों से नाराज़ हैं।।
धैर्यवान सबर रखना सत्य की जीत होगी।
राम से सद्भावना मांगना भजन करो रोज है।।
डगर तेरी कठिन है प्यारे वेवक्त छोड़के यूं।
न कोई शानी जमानें में न ही हमराज़ है।।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
झांसी उ•प्र•

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