Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Sep 2016 · 1 min read

अजीब से हालात हैं

अजीब से हालात है मेरी जिंदगी के,,,
दिन ढलता भी नहीं और रात होती हैं..
मुस्कुराना काफी नहीं है इस महफ़िल में,
यहां तो आंसुओ के जरिये बात होती है..
****** *******

इश्क के बाजीगरों को रोते देखा है अकेला,,
इन तन्हाइयों से जब मुलाकात होती है..
लौट कर मत आना मेरी जिंदगी में,,
हर अंजाम पर एक शुरुआत होती है..
****** ******

मैं हैरान था,परेशान था खामोश हवाओं के बावजूद,
क्यों ये शांत समन्दर तेरे कदमों की आहट पाकर हिल उठा था,
लोगो को ऐसे खबर हो गई तेरी मुहब्बत की ‘दवे’,
उसके ज़िक्र भर से तेरा चेहरा खिल उठा था…..
******* *******

Language: Hindi
Tag: शेर
499 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Follow our official WhatsApp Channel to get all the exciting updates about our writing competitions, latest published books, author interviews and much more, directly on your phone.
Books from विनोद कुमार दवे
View all
You may also like:
तेरे दिल में कब आएं हम
तेरे दिल में कब आएं हम
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
कोरोना का रोना! / MUSAFIR BAITHA
कोरोना का रोना! / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
*परम चैतन्य*
*परम चैतन्य*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जीवन में प्राथमिकताओं का तय किया जाना बेहद ज़रूरी है,अन्यथा
जीवन में प्राथमिकताओं का तय किया जाना बेहद ज़रूरी है,अन्यथा
Shweta Soni
हर एक नागरिक को अपना, सर्वश्रेष्ठ देना होगा
हर एक नागरिक को अपना, सर्वश्रेष्ठ देना होगा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
चुरा कर दिल मेरा,इल्जाम मुझ पर लगाती हो (व्यंग्य)
चुरा कर दिल मेरा,इल्जाम मुझ पर लगाती हो (व्यंग्य)
Ram Krishan Rastogi
न दोस्ती है किसी से न आशनाई है
न दोस्ती है किसी से न आशनाई है
Shivkumar Bilagrami
" नोट "
Dr Meenu Poonia
आज खुश हे तु इतना, तेरी खुशियों में
आज खुश हे तु इतना, तेरी खुशियों में
Swami Ganganiya
ज़रा-सी बात चुभ जाये,  तो नाते टूट जाते हैं
ज़रा-सी बात चुभ जाये, तो नाते टूट जाते हैं
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
आंसूओं की नमी
आंसूओं की नमी
Dr fauzia Naseem shad
तू प्रतीक है समृद्धि की
तू प्रतीक है समृद्धि की
gurudeenverma198
कुछ समय पहले
कुछ समय पहले
Shakil Alam
सारथी
सारथी
लक्ष्मी सिंह
बारिश-महोत्सव (हास्य-व्यंग्य)
बारिश-महोत्सव (हास्य-व्यंग्य)
Ravi Prakash
बेहद मुश्किल हो गया, सादा जीवन आज
बेहद मुश्किल हो गया, सादा जीवन आज
महेश चन्द्र त्रिपाठी
■ बेमन की बात...
■ बेमन की बात...
*Author प्रणय प्रभात*
काव्य_दोष_(जिनको_दोहा_छंद_में_प्रमुखता_से_दूर_रखने_ का_ प्रयास_करना_चाहिए)*
काव्य_दोष_(जिनको_दोहा_छंद_में_प्रमुखता_से_दूर_रखने_ का_ प्रयास_करना_चाहिए)*
Subhash Singhai
धर्मांध भीड़ के ख़तरे
धर्मांध भीड़ के ख़तरे
Shekhar Chandra Mitra
दिल  में हसरत  जगे तो दबाना नहीं।
दिल में हसरत जगे तो दबाना नहीं।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
23/173.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/173.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लिबास दर लिबास बदलता इंसान
लिबास दर लिबास बदलता इंसान
Harminder Kaur
अतीत
अतीत
Shyam Sundar Subramanian
"तुम्हारे रहने से"
Dr. Kishan tandon kranti
*वोट हमें बनवाना है।*
*वोट हमें बनवाना है।*
Dushyant Kumar
अभी कुछ बरस बीते
अभी कुछ बरस बीते
shabina. Naaz
गम छुपाए रखते है।
गम छुपाए रखते है।
Taj Mohammad
मुझमें एक जन सेवक है,
मुझमें एक जन सेवक है,
Punam Pande
गोविंदा श्याम गोपाला
गोविंदा श्याम गोपाला
Bodhisatva kastooriya
"Battling Inner Demons"
Manisha Manjari
Loading...