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24 Apr 2020 · 1 min read

अजनबी

*****अजनबी*****
****************

अजनबी कौन हो तुम
कहाँ से आए हो तुम
यहाँ के लगते नहीं
किस देश से आए तुम

यहाँ की है बोली नहीं
यहाँ का पहरावा नहीं
लक्षण अजीबोगरीब
कहाँ के वासी हो तुम

रूप है बहुत न्यारा
लगता है बहुत प्यारा
दिल को भाता रहता
कहाँ के हो राही तुम

मुख पर आभा न्यारी
खिले जैसे हो क्यारी
दिल पर न काबू रहे
कहाँ के जादूगर तुम

बहुत प्यारा नजारा
दिल को है लगे प्यारा
अखियों में हैं छाता
कहाँ के हो जाये तुम

तुम थे यहाँ अजनबी
मैंं अब तेरी महजबीं
सुखविन्द्र तुम्हें पाऊं
बाहों में समाओ तुम

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 358 Views

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