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14 Jul 2016 · 1 min read

अजगर

अजगर
✍✍✍✍

राजनीति भी
अजगर जैसी हो गई है
सरक -सरक जो चलती है
विशालकाय तन वाली
वंश परम्परा चलती यहाँ

राजनीति में
बाप बेटा दामाद सब
अजगर से बन जाते
नोंच -नोच जनता को खाते
खा- पीकर मस्त पड़ जाते

राजनीति में
आने से अपने जैसे अपने
घर के लगते हो जो सदा ही
मार फुँकार जहर उगलते
मौका परस्त हो नही चूकते

अजगर सी ही
लम्बी तौदें नित -प्रतिदिन
बढ़ती जाती रोज है
भूल जाते है निर्धनों को
हो आरूढ़ कुर्सी पर

अजगर तो भी
रेंग- रेंग कर चलता
ये तो गिरगिट से रंग
बदल कर के सरेआम
ठग बन घूमते है

डॉ मधु त्रिवेदी

Language: Hindi
71 Likes · 456 Views
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