बड़े शत्रु को मार अकड़ना अच्छा लगता है (हिंदी गजल/गीतिका)

बड़े शत्रु को मार अकड़ना अच्छा लगता है (हिंदी गजल/गीतिका)
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(1)
बड़े शत्रु को मार अकड़ना अच्छा लगता है
दुश्मन तगड़ा हो तो लड़ना अच्छा लगता है
(2)
चलो किसी पर्वत की चोटी को छूकर आएँ
उच्च शिखर पर झंडा गड़ना अच्छा लगता है
(3)
गए पुराने दिन जब चूल्हा-चौका था सब कुछ
अब कब इनमें केवल सड़ना अच्छा लगता है
(4)
रिश्वत खाकर सभी मजे से बैठे रहते हैं
कहाँ पुलिस को चोर पकड़ना अच्छा लगता है
(5)
देखो कुदरत ने क्या अद्भुत चीज बनाई है
जाड़ा – गर्मी – बूँदें पड़ना अच्छा लगता है
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र)
मोबाइल 9997615451