अच्छाई ऐसी क्या है तुझमें
नफरत नहीं तो और क्या करें ,अच्छाई ऐसी क्या है तुझमें।
बुराई नहीं तो और क्या करें ,मानवता ऐसी क्या है तुझमें।।
नफरत नहीं तो और क्या करें—————–।।
सिर्फ तुम्हीं हो जिससे हमने, प्यार किया था बहुत।
हमारी खुशी तुम ही तो थे, तुम्हारी ही थी जरूरत।।
मिले हमको तुमसे खुशी फिर, तहजीब ऐसी क्या है तुझमें।
नफरत नहीं तो और क्या करें——————।।
अभिमान करो चाहे सूरत पर, दिल से खूबसूरत नहीं हो।
मेरे प्यार के काबिल नहीं हो,दामन से भी पवित्र नहीं हो।।
तुम्हें चाहिए महलो – दौलत, वफ़ा ऐसी फिर क्या है तुझमें।
नफरत नहीं तो और क्या करें——————।।
हकीकत तो यह है नफरत है तुमको, हमारे मजहब से।
आबाद अब होना है हमको, करें क्यों मोहब्बत तुमसे।।
बदनाम तुम हमको करोगे ,शराफत और ऐसी क्या है तुझमें।
नफरत नहीं तो और क्या करें—————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)